संस्मरण कविता
चम्पक-वन में बैठ सखी संग ,
कहती सुनती कुछ मन की जीवन की
कुछ अपनों की कुछ सपनों की
कुछ टूटे सपनों की कुछ छूटे अपनों की

मन के पन्ने खोल रही हैं
एक-दूजे को तोल रही हैं
कहती सुनती ,कुछ मन की जीवन की
कुछ सासू की -कुछ ननदी की
कहती सुनती ,कुछ मन की जीवन की
कुछ सासू की -कुछ ननदी की
कुछ साजन की-कुछ लालन की
भर आँचल में झर- झर झरते
स्मृतियों के चम्पक-सुमन
स्मृतियों के चम्पक-सुमन
कहती -सुनती कुछ मन की जीवन की
कुछ द्वंदों की -अवसादों की
कहती सुनती कुछ मन की जीवन की
कुछ तीरों की तलवारों की
कब लगी ह्रदय को ठेस
पीड़ा अकथ ,भूल मुस्काने की कब लगी ह्रदय को ठेस
कहती सुनती कुछ मन की जीवन की
बाहें थामे एक-दूजे की
आपस में ये पूछ रही हैं
किसकी कैसे बीत रही है
आपस में ये पूछ रही हैं
किसकी कैसे बीत रही है
हार रही या जीत रही हैं
हारी फिर भी जीत रही हैं
या, जीत कर भी हार रही हैं
जीवन की तो रीत यही है
सखियों की तो प्रीत यही है
हारी फिर भी जीत रही हैं
या, जीत कर भी हार रही हैं
जीवन की तो रीत यही है
सखियों की तो प्रीत यही है
धन्यवाद..........अदितिपूनम
बढिया रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक रोटी की कहानी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद ,ब्लॉग बुलेटिन में मेरी रचना साझा करने के लिए ह्रदय से आभार ....धन्यवाद ...
Deleteबहुत सुन्दर रचना ...!!साथ बीते हुए पलों को आपने सदा के लिए जीवित कर दिया ...!!
ReplyDeleteयाद आ गई वो चम्पक बन में बीती हुई शाम ....!!
सुखद सुरभिमय अनुभूति हो रही है ....!!
साभार ....
भर आँचल में झर- झर झरते
ReplyDeleteस्मृतियों के चम्पक-सुमन....
कहती -सुनती कुछ मन की जीवन की
ReplyDeleteकुछ द्वंदों की -अवसादों की
कुछ तीरों की तलवारों की
कब लगी ह्रदय को ठेस
पीड़ा अकथ ,भूल मुस्काने की
अनुपम भाव संयोजन .... बेहतरीन
kahti sunati kuchh man ki
ReplyDeletejeevan ki .kya baat hai bahut sundar ..
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteस्मृतियों का स्फुटन सुन्दर बन पड़ा है ..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
भर आँचल में झर- झर झरते
ReplyDeleteस्मृतियों के चम्पक-सुमन....
सुन्दर रचना ...
अपने भीतर पल रहे मर्म को बताने,सुनने की कवायत
ReplyDeleteजीवन और नारी मन के
नये संदर्भ की भावपूर्ण रचना
बधाई
सुन्दर काव्य सृजन.
ReplyDeleteसच है ...
ReplyDeleteबधाई !
धन्यवाद ब्रिजेश जी ,ब्लॉग प्रसारण 5 पर मुझे लिंक करने के लिए
ReplyDeleteआभार ....धन्यवाद...
भावपूर्ण
ReplyDeleteआप सभी का ह्रदय से आभार धन्यवाद....
ReplyDeleteकुछ सासू की -कुछ ननदी की
ReplyDeleteकुछ साजन की-कुछ लालन की
प्रभावी कलम को बधाई !
बेहतरीन व सुन्दर रचना
ReplyDeleteशुभ कामनायें...
भाव और जीवन का राग अनुराग लिए है यह रचना अपनों के बीच .
ReplyDeleteअपना मन बँटा सकें जिससे ऐसी सखी सदा बनी रहे -बहुत मनोरम रचना !
ReplyDeleteस्मृतियों से सुंदर काव्य सृजन हुआ. सखियों की हंसी ठिठोली मन के भावों का उतार चढाव. बहुत सुंदर गीत.
ReplyDeletewah!!! padh kar aanand aa gaya ..aisa laga jaise mere aur meri saheli ke baare mei hi likh diya aapne ... aisi sakhi ka jeevan mei hona kisi vardaan se kam nahi hota .bahut hi khoobsurat rachna ekdum aapki tarah :-)
ReplyDeleteमेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
utam
ReplyDeleteहाँ..
ReplyDeleteजीवन तो यही है ..
शुभकामनायें !
सखियों की तो प्रीत यही है...
ReplyDeleteकिस पर टीका करूं यहां सब एक दूजे से उत्तम है
ReplyDeleteहिन्दी लिखना कम आता मुझे बुद्धी भी कुछ मध्यम है