करूणा और प्रेम के इन्द्रधनुषी रंगों को ,
जीवन के उतार-चढाव के ताने-बाने में ,
चतुर बुनकर सी
रिश्तों को बुनती स्त्री**************
चुन-चुन कंटकों से ,
नेह के बिखरे तिनके ,
समेट नीड बनाती
बिछोना वात्सल्य का बिछाती स्त्री************
जीवन सरिता में बहती
नोका की ,पतवार सी ,
प्रवाह-पथ की लोह-चट्टानों को
आत्मविश्वास और दृढ़ता से मोम करती स्त्री************** .
प्रकृति की प्रतिश्रुति सी
, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...............
महिला-दिवस की शुभ-कामनाओं सहित
, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...............
महिला-दिवस की शुभ-कामनाओं सहित
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