अरी ओ री सखी
घोलो केसरिया रंग
बिरज चलें होली खेलन
अरी ओ री सखी
जिया मैं भर लो उमंग
बिरज चलें होली खेलन
ढोलक ले लो मंजीरा ले लो
और ले लो तुम चंग
गोप ग्वाल सखियाँ
सब नाचे बाजे जब मिरदंग
मुरली बजावत कान्हा नाचे
रानी राधिका संग
केसर को तो तिलक लगाओ

श्याम पिया मोहे एसो
रंग दे,चढ़े न दूजो रंग
बिन ओढ़े मे घर न जाऊं
रंग दे चुनरिया सुरंग
अरी ओ री सखी
घोलो कनक-कलश में भंग
बिरज में धूम मचाएं सब संग
चलें होली खेलन********
रंगोत्सव की अनेकानेक शुभ कामनाये ....सभी मित्रों को
अदिति पूनम
होरी की धूम .....
ReplyDeleteबिरज में ,
सुंदर वर्णन ...होली की अनेक अनेक शुभकामनायें ...!!
रंगोउत्सव की धूम विरज में बहुत सुंदर रचना ... होली की शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteसजीव वर्णन !बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
new post: ... कि आज होली है !
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय पहेली चर्चा चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteधन्यवाद....आभार महोदय..... रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए....
Deleteबिरज कि होली का ख्याल ही मस्ती भर देता है ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ... होली की बधाई ..
सुंदर चित्र और ब्रज की होली का अनुपम वर्णन... शुभकामनायें !
ReplyDeletekhoobsurat kavita
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.......
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
बहुत सुन्दर.......
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऐं ।
केसर को तो तिलक लगाओ
ReplyDeleteवाको पटका डारो रंग
श्याम पिया मोहे एसो
रंग दे,चढ़े न दूजो रंग
बिन ओढ़े मे घर न जाऊं
रंग दे चुनरिया सुरंग
अरी ओ री सखी
घोलो कनक-कलश में भंग
बिरज में धूम मचाएं सब संग
चलें होली खेलन********
रंग दिया आपने बृज की मीठास(मिठास ?) में। सुन्दर अति सुन्दर बृज -माधुरी
बहुत खूबसूरत भाव...
ReplyDeleteश्याम पिया मोहे एसो
रंग दे,चढ़े न दूजो रंग
सुन्दर रचना. होली की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
bahut khoob ...
ReplyDeleteहोरी गीत पढ़कर बहुत मज़ा आया.
ReplyDeleteबहुत सुंदर होली गीत.
ReplyDeleteशुभकामनाएँ !
श्याम पिया मोहे एसो
ReplyDeleteरंग दे,चढ़े न दूजो रंग
सुन्दर रचना....अदिति जी आनंद आ गया ब्रज कि होली के दर्शन .......... होली की हार्दिक मंगलकामनाएँ...............
ब्रज की होली की बात ही निराली है .ऊपर से भंग घोलने की तैयारी -अब तो कोई नहीं बचेगा इस रंग से !
ReplyDeleteश्याम पिया मोहे एसो
ReplyDeleteरंग दे,चढ़े न दूजो रंग
बहुत सुंदर होली गीत.
सुन्दर प्रासंगिक भैंट ब्रज माधुरी का जादू चढ़के बोलता है इस लोकगीत में अंचल की खुश्बू और स्वाद लिए
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@भजन-जय जय जय हे दुर्गे देवी
अर्थपूर्ण कविता ,अर्थपूर्ण रंग लिए लोक संस्कृति की मनभावन रचना। शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
ReplyDeleteआपका ब्लॉग और रचनायें प्रभावशाली हैं। आकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteआपकी रचना काफी अच्छी लगी।मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
ReplyDeleteकाफी दिनों से आप ने कोई नए पोस्ट नहीं डाली...क्या बात है ?
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आंधियाँ भी चले और दिया भी जले
नयी पोस्ट@श्री रामदरश मिश्र जी की एक कविता/कंचनलता चतुर्वेदी
मन भावन अति पावन
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
पढ़कर मन में होली की उमंग भर गयी
ReplyDeleteबहुत सुंदर होली गीत.....
ReplyDeleteघोलो कनक-कलश में भंग
बिरज में धूम मचाएं सब संग
भ्रमर५
सुंदर भाव, उम्दा रचना
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