करूणा और प्रेम के इन्द्रधनुषी रंगों को ,
जीवन के उतार-चढाव के ताने-बाने में ,
चतुर बुनकर सी
रिश्तों को बुनती स्त्री**************
चुन-चुन कंटकों से ,
नेह के बिखरे तिनके ,
समेट नीड बनाती
बिछोना वात्सल्य का बिछाती स्त्री************
जीवन सरिता में बहती
नोका की ,पतवार सी ,
प्रवाह-पथ की लोह-चट्टानों को
आत्मविश्वास और दृढ़ता से मोम करती स्त्री************** .
प्रकृति की प्रतिश्रुति सी
, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...............
महिला-दिवस की शुभ-कामनाओं सहित
, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...............
महिला-दिवस की शुभ-कामनाओं सहित
,
.
चम्पक बन में बैठ सखी संग .....
ReplyDeleteकुछ मन खोलती .....
खिलखिलाती ....
एक तरंग सी ....
स्त्री ....!!
बहुत ही सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति .....कुछ यादें महका गयी ....!!
शानदार रचना ....
.......शुभकामनायें .......!!
धन्यवाद अनुपमा.......
Deleteप्रकृति की प्रतिश्रुति सी
ReplyDeleteनिस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री..........
अद्धभुत अभिव्यक्ति !!
महिला-दिवस कीशुभकामनायें !!
धन्यवाद विभा जी.............
Deleteप्रकृति की प्रतिश्रुति सी
ReplyDeleteनिस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...
बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
धन्यवाद मदन जी..........
Deleteसुन्दर प्रस्तुति आदरेया--
ReplyDeleteशुभकामनायें-
सादर
धन्यवाद ,महोदय.....
Deleteचम्पक बन में बैठ सखी संग .....
ReplyDeleteकुछ मन खोलती .....
खिलखिलाती ....
एक तरंग सी ....
स्त्री ....!!
बहुत उम्दा प्रभावी प्रस्तुति,,,
Recent post: रंग गुलाल है यारो,
धन्यवाद,महोदय..........
Deleteप्रकृति की प्रतिश्रुति सी
ReplyDelete, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...........
अनुपम भाव लिये उत्कृष्ट प्रस्तुति
धन्यवाद...आभार...
Deleteआपका..........
बिछोना वात्सल्य का बिछाती...उम्दा
ReplyDeleteआभार राहुल जी ..............
Deleteमार्मिक और सटीक चित्रण - अति सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी ...........
Deleteस्त्री के बिना कुछ नहीं है, वो तो सृष्टिकर्ता है।
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना है आपकी .
सादर शुभकामनाएं
धन्यवाद मधुरेश जी ...........
Deleteधन्यवाद.........प्रसन्न जी .....
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteधन्यवाद,मार्क जी..........
Deleteआभार.........
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
महिला-दिवस की शुभ-कामना
धन्यवाद,रमाकांत जी.....
Deleteआभार.............
ReplyDeleteप्रकृति की प्रतिश्रुति सी
, निस्तब्ध पतझड़ मे
बसंत की आहट सुन
ठूंठों से झांकती
हरियाली सी स्त्री...............
kitna behtareen shabd diya aapne...
superb.. fantastic..
gajab ka likhte ho aap..:)
shubhkamnayen..
धन्यवाद ,मुकेश जी ......
Deleteआभार ..........
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteधन्यवाद....महोदय .......आभार.
Deleteजेठ में ठंढी फुहार सी
ReplyDeleteमाँ के दुलार सी
बहन के प्यार सी
गोरी के श्रृंगार सी.
सरिता की चंचल धार सी
समंदर के आधार सी
विभिन्न रूप दिखाती स्त्री.
आपको स्त्री होने की और महिला दिवस की ढेर सारी बधाइयाँ.
सादर
नीरज 'नीर'
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा): KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
बहुत उम्दा प्रस्तुति आभार
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
करूणा और प्रेम के इन्द्रधनुषी रंगों को ,
ReplyDeleteजीवन के उतार-चढाव के ताने-बाने में ,
चतुर बुनकर सी
धागा-दर-धागा
रिश्तों को बुनती स्त्री**************
स्त्री ही मकान को घर बनाती है ,आप भी मेरे ब्लोग्स का अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
latest postअहम् का गुलाम (भाग तीन )
latest postमहाशिव रात्रि
धन्यवाद ...महोदय.....आभार...
Deletebahut sundar prastuti :-) badhai
ReplyDeleteमेरी नई कविता Os ki boond: झांकते लोग...
धन्यवाद ...पंखुरी जी ...आभार...
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय...........
Deleteआभार ........
बहुत सुंदर भावसुधा बरसाती पंक्तियां...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteधन्यवाद....अनिता जी...
Deleteसाभार.....
सुचना ****सूचना **** सुचना
ReplyDeleteसभी लेखक-लेखिकाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुचना सदबुद्धी यज्ञ
(माफ़ी चाहता हूँ समय की किल्लत की वजह से आपकी पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दे सकता।)
चुन-चुन कंटकों से ,
ReplyDeleteनेह के बिखरे तिनके ,
समेट नीड बनाती
बिछोना वात्सल्य का बिछाती स्त्री***
स्त्री के कोमल मन की अनुपम भावनाओं को सुन्दर शब्द दिए हैं आपने ...
बधाई ...
धन्यवाद दिगम्बर जी .....
Deleteआभार...
sundar aur komal bhav
ReplyDeleteधन्यवाद....अज़ीज़ जी ...
Deleteसाभार....
वास्तव में नारी होने पर गर्व होता है ....
ReplyDeleteधन्यवाद....सरस जी ....
Deleteसाभार...
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteधन्यवाद....राजेंद्र जी....
Deleteसाभार....
जीवन सरिता में बहती
ReplyDeleteनोका की ,पतवार सी ,
प्रवाह-पथ की लोह-चट्टानों को
आत्मविश्वास और दृढ़ता से मोम करती स्त्री************** .
bahut sundar rachana ke liye badhai !
धन्यवाद...सुमन जी...
Deleteसाभार...
सुंदर लिखा , बधाई आप को
ReplyDeleteधन्यवाद......अवन्ती जी..
Deleteआभार...
करूणा और प्रेम के इन्द्रधनुषी रंगों को ,
ReplyDeleteजीवन के उतार-चढाव के ताने-बाने में ,
चतुर बुनकर सी बुनती... स्त्री!
- बहुत सुन्दर !
धन्यवाद....प्रतिभा जी...
Deleteआभार
धन्यवाद ,रोहितास जी ....आभार...
ReplyDeleteचुन-चुन कंटकों से ,
ReplyDeleteनेह के बिखरे तिनके ,
समेट नीड बनाती
बिछोना वात्सल्य का बिछाती
bahut hi prabhavshali rachana lagi .....sadar abhar Poonam ji .
धन्यवाद त्रिपाठी जी ....
Deleteसाभार...
dhanywaad nisha ji ......
ReplyDeletethanks ,to visit my blog...
waah...wonderful composition... please visit my blog and join it
ReplyDeleteregards
http://boseaparna.blogspot.in/